अरसा हुआ मिटटी के घर बनाये ..
छोटे छोटे दरवाज़ों और खिड़कियों में झांकते थे ,
की शायद किसी ने वहां घर बनाया होगा ,
इस घरोंदे में कोई तो नन्हा परिंदा आया होगा
सुकून सा मिलता था एक जब हाथ मिटटी से रंग जाते थे ,
जैसे हम खुद से खुद ही मिल आते थे…

अरसा हुआ मिटटी के घर बनाये ..
छोटे छोटे दरवाज़ों और खिड़कियों में झांकते थे ,
की शायद किसी ने वहां घर बनाया होगा ,
इस घरोंदे में कोई तो नन्हा परिंदा आया होगा
सुकून सा मिलता था एक जब हाथ मिटटी से रंग जाते थे ,
जैसे हम खुद से खुद ही मिल आते थे…