क्यों सोचना इतना की दिमाग ख़राब हो जाये,
क्यों ढूंढना इतना की हम खुद ही खो जाएं .
कश्ती को भॅवर में जाने से पहले मोड़ दो,
कुछ बातें वक़्त पर छोड़ दो.
आने वाले पल की पंखुड़ी,
धीरे धीरे आँख खोलेगी .
जो होना है .
तुमको इशारों में बोलेगी,
इतने बेचैन मत बनो की मिटटी के पकने से पहले,
तुम कच्चे घड़े को फोड़ दो.
कुछ बातें वक़्त पर छोड़ दो.
जिनको मिलना होता है,
उनको रोक नहीं पता ज़माना,
और जहाँ मिलन नहीं,
वहां बनता नहीं फ़साना
तुम अभी कसके पकड़ो अरमानो की डोर को
कुछ बातें वक़्त पर छोड़ दो.
उसको भी उड़ने दो, तुम भी भरो उड़ान ,
दोनों की हो अपनी पहचान ..
साथ चलो एक नयी चेतना जगाओ ,
वह तुम्हारी बने , तुम उसकी प्रेरणा बन जाओ
पंख फैलाओ और मत मानो गगन के छोर को .
कुछ बातें वक़्त पर छोड़ दो
– शैलजा

Superb.. सही समय आएगा तो ये भी खुद ही पता चल जाएगा.
I am fan of your writing
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