
तुम और मैं बात करते हैं..
तो दिल हल्का हो जाता है
साथ चलते हैं कुछ पल
पर न जाने क्या ये नाता है
सुकून भरी बातें, पर उनका कोई काम नहीं ,
आवाज़ का रिश्ता जिसकी कोई पहचान नहीं
कौन हो तुम, क्या करते हो..
क्या पता क्यों इस राह से रोज़ गुज़रते हो
पर तुमसे यु गुफ्तगू कर दिल को करार आता है
तुम और मैं बात करते हैं..
तो दिल हल्का हो जाता है
हम भी तेरी आवाज़ का इंतज़ार करते हैं
तेरे आने की उम्मीद में रोज़ सवरते हैं
पर मौसम रोज़ बदलते हैं
ये दिल हमको याद दिलाता है
पर फिर भी तुम और मैं बात करते हैं..
तो दिल हल्का हो जाता है
शैलजा सिंह