पिंजरे में डाला किसने
उस से जब पूछ बैठा कोई..
तो वह मुस्कुराई
फिर थोड़ा रोइ
क्या बोलूं मैं…
की पिंजरे में मैं कैसे आयी..
की ये मैंने की खुद से बेवफाई
औरों की उम्मीद की सीढ़ी पर उतरते हुए
देखा नहीं किस हद तक गुज़र गयी..
खुद की नहीं सुनी मैंने
मैं इस पिंजरे में उतर गयी …
-शैलजा सिंह
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